बच्चे जिज्ञासावस अक्सर पूंछते हैं कि-पृथ्वी घूमती है। पर वह हमें स्थिर क्यों लगती है ?दूसरा प्रश्न पूंछते हैं कि-‘प्रेशर कुकर’ में खाना जल्दी कैसे पकता है ? आज के इस पोस्ट में उपरोक्त दोनों टॉपिक को कवर करेंगे
पृथ्वी घूमती है। पर वह हमें स्थिर क्यों लगती है ?
बचपन से आज तक विज्ञान की किताबों में हम यह पढ़ते आए हैं कि पृथ्वी घूमती है, लेकिन हमने तो उसे सदैव स्थिर रूप में ही देखा है। आखिर जब पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है तो वह स्थिर क्यों लगती है? इसका मुख्य कारण उसकी गति है अन्यथा तो सूरज का आना और जाना रात और दिन का होना, उसके घूमने के ही प्रमाण हैं। फिर भी हम उसे अग्रांकित ढंग से समझ सकते हैं :
यह सही है कि पृथ्वी लगातार अपनी धुरी पर घूमती रहती है। ऐसा नहीं है कि हमें पृथ्वी की गति का पता नहीं चलता हो। दिन में सूर्य की बदलती हुई स्थिति से हमें पृथ्वी की गति का भी आभास होता है। पृथ्वी का घूमना हमें महसूस इसलिए नहीं होता, क्योंकि पृथ्वी बराबर एक सी गति से घूम रही है। किसी भी वस्तु की गति का पता उसकी गति में आने वाले परिवर्तनों से होता है।पृथ्वी की गति में परिवर्तन नहीं होने के कारण ही हमें ऐसा महसूस नहीं होता।
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‘प्रेशर कुकर’ में खाना जल्दी कैसे पकता है ?
घरों में आजकल खाना पकाने के लिए अधिकतर ‘प्रेशर कुकर’ का प्रयोग किया जाता है। इसके दो मुख्य कारण हैं। एक तो उसमें खाना जल्दी पकता है और दूसरे खुले बर्तन की तरह उसे पकते हुए बार-बार सम्भालना नहीं पड़ता। कुकर निश्चित समय पर सीटियाँ बजाकर खाना उबल जाने की सूचना देता है। खाना जिस सीमा तक उबालना होता है, महिलाएँ उसे पहचानकर कुकर बन्द कर देती हैं। प्रेशर कुकर में खाना जल्दी कैसे पक जाता है, उसका वैज्ञानिक आधार अग्रांकित है
आप यह सहज ही मालूम कर सकते हैं कि खुले बर्तन में खाना बनाने की अपेक्षा ढके बर्तन में खाना जल्दी पकता है, क्योंकि पानी से बनने वाली भाप उसमें बेकार नहीं जाती। लेकिन ढँकने के साथ- साथ यदि में दाव भी बढ़ा दिया जाए तो खाना और भी जल्दी कुकर पकता है। नियमानुसार जैसे-जैसे दाब बढ़ता है, पानी का क्वथनांक कम होता जाता है। प्रेशर कुकर में दाब अधिक हो जाने के कारणउसमें पकाए जाने वाले पदार्थों का क्वथनांक घट जाता है और वे जल्दी पक जाते हैं ।
भाप में बहुत शक्ति है और दाब बहुत अधिक न हो जाए इसके लिए कुकर में एक सेफ्टी वाल्व भी लगा होता है जिसके माध्यम से अधिक भाप बन जाने पर वह सहज ही निकल जाती है। 0