दोस्तों आज हर तरफ अन्धविश्वास का बोलबाला है तो आज हम इस पोस्ट में अन्धविश्वास के उपचार कैसे करें?अंधविश्वास के उदाहरण सहित इस टॉपिक पर पूर्ण जानकारी देंगे।हम जहाँ भी रहते हैं या अन्य किसी गाँव या शहर में चले जाते हैं तो वहाँ पर कोई न कोई व्यक्ति भूत-चुडैल या बुरी आत्माओं से ग्रसित अपने आपको या परिवार को बतायेगा। फला-भूत ने उसको पकड़ा है, फलाँ चुडैल ने उसको इस तरह से, लोग कोई न कोई ओझा, गुनिया या तांत्रिक के चंगुल में फँसा ही मिलेगा।
दोस्तों हमें जिन्दगी में सच को मानना चाहिए और विज्ञानं से बड़ा सच कोई नहीं है।विज्ञानं इन भूत -प्रेत ,तंत्र,मंत्र ,जादू ,डायन व टोनही इन तमाम बातों को दावे व सबूत के साथ ख़ारिज कर देता है।
अन्धविश्वास क्या है ?
अन्धविश्वास की बात करें तो यह एक ऐसा विश्वास है जिसका सच्चाई से कोई संबंध नही होता।अन्धविश्वास सामान्यतः किसी व्यक्ति ,धार्मिक अवं सामाजिक सांस्कृतिक एवं रुढ़िवादी परम्पराओं से जुडी होती है।
अन्धविश्वास की एक मुख्य विशेषता यह होती है कि जब इसे प्रूव करने के लिए सबूत या वैज्ञानिक तथ्य पेश किए जाते हैं, तब भी इसे मानाने से इंकार किया जाता है या इस पर विश्वास नहीं किया जाता है। इसलिए अन्धविश्वास और वास्तविकता में भ्रम बनी रहती है।
अंधविश्वास के उदाहरण
उदाहरण के तौर पर, कुछ लोग विश्वास करते हैं कि ज्योतिष विज्ञान व्यक्ति के भविष्य को बता सकता है, जबकि इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है।और बड़े बड़े विद्वान ,वैज्ञानिक ने ज्योतिष को गलत साबित किया है ।आप और में जानना चाहते हैं तो youtube में सर्च करें श्याम मानव ज्योतिष इस विडियो से आपको देती जानकारी मिल जाएगी। दूसरे उदाहरण में, कुछ लोग विश्वास करते हैं कि बीज में लिखी हुई नामों से बनी दवाओं से किसी भी बीमारी का इलाज संभव है ,लेकिन यह कोरा बकवास है ,अगर यह सच होता तो हमें हॉस्पिटल कोई जरुरत नही पड़ती ।
आसानी से अन्धविश्वास के उपचार कैसे करें?अंधविश्वास के उदाहरण
बीमारियों से परेशान व्यक्ति निरन्तर दवा का सेवन करते-करते जब ऊब जाता है और किसी न किसी तरह इन बाबा, मौलवियों व तांत्रिकों के चक्कर पड़कर बर्बाद होने लगता, ये बाबा लोग व्यक्ति की कमजोरी को बड़े ही आसानी से पकड़ लेते हैं… गाय की तरह दुहते रहते हैं।
कुछ बाबा लोग तो मरीज को रहस्यमयी ताबीज, भभूत व जड़ी बूटी देते हैं और अनापशनाप पैसे वसूलते हैं और व्यक्ति ठीक होने की उम्मीद में बर्बाद हो जाता है। जबकि एक प्रशिक्षित चिकित्सक जाँच, एक्सरे, खून, पेशाब, मल, बलगम आदि की जाँच करके मरीज का सही निदान करता है… और मरीज ठीक हो जाते हैं। ऐसी ही एक घटना का जिक्र हमारे मोहल्ले का है। एक महिला थी, जो हमेशा अनाप शनाप बकती, कभी कहती कोई खड़ा है, कभी कहती हमारे पीछे कोई चल रहा है, आदि आदि अनेक उपद्रव करती कोई कहता बुरी आत्मा है, कोई कहता भूत है जितने मुँह उतनी बातें।
एक दिन किसी के कहने पर लोग किसी तांत्रिक को घर ले आये, उस तांत्रिक ने काफी पूजा सामग्री मँगवाई करीब दो या तीन हजार की और उसने अपना अनुष्ठान शुरू कर दिया। भूत भगाने की अनेक तरकीब लगाई, कभी आग में मिर्चा डाल कर सुंघाया कभी मारा पीटा, लेकिन फिर भी वह महिला ठीक नहीं हुई तांत्रिक महोदय ने कहा इसे बनारस ले जाकर और अनुष्ठान करवाना पड़ेगा बहुत ही तगड़ा भूत है—घर वाले परेशान किसी प्रकार से रुपये पैसे का इन्तजाम करके बनारस भी गये लेकिन सब बेकार,
जो जहाँ बताता उस महिला को लेकर लोग झाड़ फूँक करवाते अंततः जब महिला की स्थित काफी बिगड़ गयी तो लोगों की सलाह पर उसे चिकित्सक के पास ले जाया गया।चिकित्सक ने कई टेस्ट करवाये, आखिर में यह निश्चित हो गया की महिला “साइजोफ्रेनिया” की मरीज है, उसका लग कर इलाज करवाया गया, आज वह महिला बिलकुल स्वस्थ है।
इस प्रकार से देखा जाय तो अनेकों लोग मनोरोगों से ग्रसित मिलेंगे — हिस्टीरिया, साइजोफ्रेनिया, अवसाद मेनिया आदि अनेकों मनोरोगों से ग्रसित मिलेंगे। अक्सर ये मरीज कई बार अत्यधिक उत्तेजना की वजह से मारपीट, तोड़ फोड़ या डिप्रेशन में चुपचाप पड़े रहते हैं या फिर मानसिक असन्तुलन की वजह से उग्र या अशांत हो जाते हैं। ऐसे मनोरोगियों को लोग भूत प्रेत की व्याधा जान कर, बाबा, तान्त्रिकों के चक्कर में फँस जाते हैं।
ऐसे मानसिक रोगियों को किसी अच्छे मनो चिकित्सक से इलाज करवाना चाहिए, इन्हें सहानुभूति, अच्छे वातावरण व उचित देखभाल की जरूरत होती है। जिससे ये मनोरोगी ठीक हो जाते हैं। लेकिन होता इसका विपरीत ही है। रोगी को बीमार समझने के बजाय उन्हें पकड़ कर भूत भगाने वाले बाबा या तांत्रिकों के पास ले जाया जाता है।
जो अनेक प्रकार से मरीज को प्रताड़ित करते हैं कभी खम्भे से बाँध कर, कभी मिर्च की धूनीसुँघा कर कभी सलाखों से दाग कर कबूल करवाते हैं। कि किस भूत ने उसे पकड़ा है, शारीरिक यातना से मरीज मूर्छित हो जाते हैं या फिर गम्भीर रूप से घायल होकर मर जाते हैं और सचमुच में भूतकाल में चले जाते हैं।
इसे भी पढ़ें …….चुड़ैल की कहानी, पायल वाली चुड़ैल का आवाज chudail ki kahani
इस प्रकार के अन्धविश्वासों को रोकने तथा मरीज को सही चिकित्सक के पास ले जाने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि अन्धविश्वास से होने वाली ऐसी घटनाओं को रोका जा सके